रविवार, 1 अप्रैल 2012

राजनीति एक धंधा है .........

लेखक -अमित प्रकाश तिवारी (नादान)
                      राजनीति  एक धंधा है .............

नाम एक पहचान अनेक ,
रंग रूप भाषा विवेक ,
हर चाल में माहिर 
भ्रष्ट सदा  है जगजाहिर 
पर जनप्रेमी सबसे बड़ा 
चाहे विचार से गन्दा है ,
राजनीती एक धंधा है ...............


दुर्भाग्य देश का है हरसाल
जीत रहे सब गुरु घंटाल
लूट मार  और अत्याचार
गुंडागर्दी है  जिनका व्यापार
हर पांच साल के बाद उगे 
अब जनसेवक भिखमंगा है,
राजनीती एक धंधा है ..............  


देश लुटने का सदा ,
मन में रहे विचार 
जोड़ तोड़ कर किसी तरह 
बन जाये सरकार
हर पाँच साल के बाद जगे 
यह भारत माँ का बंदा है ,
राजनीती एक धंधा है...........  


                                       

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