मंगलवार, 4 सितंबर 2012

अतिथि सत्कार

अतिथि सत्कार

अरे लादेन तुम्हारी मति  मारी  गयी  थी
जो  पाकिस्तान में जा बसे
जहाँ अमेरिका  की नजर  पहले से लगी  थी 

 काश  हिंदुस्तान  में आते ,
अतिथि  सत्कार  पाते .
रोज सरकार करोड़ो खर्चा करती ,
तुम शान से विरयानी उड़ाते। 
अपने पिठ्ठू कसाब अजमल कि तरह ,
 देश का अतिथि बन जाते। 
तुम पर इल्जाम साबित होता ,
तब तक तुम सौ साल के हो जाते। 

आज हमारे  देश का  दुर्भाग्य है ,
जहा गन्दी राजनीति  से देश शर्मसार होता है। 
जनता एक रोटी को तरसती है ,
 इन पर करोडो निसार होता है। 
ये सरकार की कमजोरी है ,
या वोट बैंक का छलावा है। 
देश का खजाना खाली  है,
इन गद्दारो पर करोडो का चढ़ावा है। 

बस  एक कठोर निर्णय कि दरकार  है ,
इन जैसो को औकात पर ला दे 
देश के दहशत गर्दो के लिए ,
बस एक सजा फांसी दे सुला दे 
इंतजार किस बात का ,
क्या फिर कोई प्लेन हाइजैक हो ,
फिर कोई भारत पर बुरी नजर डाले ,
फिर मुम्बई दिल्ली जैसा अटैक हो। 

अब इंतजार और नहीं ,
 वर्ना हम सोचते रह जायेंगे ,
और ये दरिंदे हमारी सर जमी को ,
दहशत का देश बना देंगे।   
                                                       लेखक - अमित प्रकाश तिवारी "नादान"

शनिवार, 9 जून 2012

क्या पैसा इतना जरुरी है

क्या पैसा इतना जरुरी है ?

क्या पैसा इतना जरुरी है ?
किसी की जिन्दगी का सौदा करा दे 
किसी की खुशियों की बलि चढ़ा दे 
माँ की ममता का मोल मिटा दे 
अपनों के रिश्तो में जहर घोल दे 
ये जरुरत या कोई इन्सान की मजबूरी है 
क्या पैसा ............

पैसो के बल पर अस्मत को लूटते देखा है 
पैसो के बल पर फिर बा इज्जत छूटते देखा है 
पैसो की धौस पर इंसानियत मिटते देखा है 
पैसे के दम पर अधिकारी को बिकते देखा है 
हर काम के लिए पैसे की गंध जरुरी है ?
क्या पैसा ...............

पैसे के बिना सड़क पर बचपन बिखरते देखा है 
पैसे के बिना गरीब मरीज को दम तोड़ते देखा है  
पैसे के बिना भूखे पेट रात गुज़ारते देखा है 
पैसे के बिना बेबस इंसानों को हद से गुजरते देखा है 
ये क्या है जिसके बिना जिंदगी अधूरी है  ?
क्या पैसा ....................

पैसे की हनक ने इन्सान को शैतान बना दिया 
पैसे की चाह ने इन्सान को इतना गिरा दिया 
पैसा को ही इन्सान ने खुदा और भगवान  बना दिया 
पैसे ने भाई-भाई और हर रिश्ते को दागदार कर दिया 
क्या सचमुच पैसा भगवान  नहीं  पर सबसे जरुरी है  ?
क्या पैसा .....................
                                          लेखक -अमित प्रकाश तिवारी "नादान "



गुरुवार, 10 मई 2012

जिन्दगी एक किराये का घर

जिन्दगी एक किराये का घर ...........

जिन्दगी एक किराये का घर है 
एक न एक दिन है जाना सभी को ,
फिर ऐसा करे कर्म क्यों हम 
जो जिन्दगी को नरक सा बना दे  
जिंदगी ..........................
दर्द अपना समझ आये सबको 
गैर कितना दुखी है न समझे 
अपनी खुशियों को सबको दिखाए 
उसकी खुशिया तुझे क्यों न भाये 
आज तक न समझ आया मुझको 
चाहिए क्या जमाने  से हमको 
जिंदगी .......................
मैंने माँगा सदा रब से दिल से 
एक ख़ुशी हर दिल में हो हरपल 
 उसने भी  कहा सच है लेकिन 
क्या करे हम समझ में न आये  
किसको खुशियों की सौगात दे हम 
वो  पडोसी को  गम मांगे हमसे 
जिंदगी .............................  

                            लेखक - अमित प्रकाश तिवारी "नादान"



रविवार, 1 अप्रैल 2012

राजनीति एक धंधा है .........

लेखक -अमित प्रकाश तिवारी (नादान)
                      राजनीति  एक धंधा है .............

नाम एक पहचान अनेक ,
रंग रूप भाषा विवेक ,
हर चाल में माहिर 
भ्रष्ट सदा  है जगजाहिर 
पर जनप्रेमी सबसे बड़ा 
चाहे विचार से गन्दा है ,
राजनीती एक धंधा है ...............


दुर्भाग्य देश का है हरसाल
जीत रहे सब गुरु घंटाल
लूट मार  और अत्याचार
गुंडागर्दी है  जिनका व्यापार
हर पांच साल के बाद उगे 
अब जनसेवक भिखमंगा है,
राजनीती एक धंधा है ..............  


देश लुटने का सदा ,
मन में रहे विचार 
जोड़ तोड़ कर किसी तरह 
बन जाये सरकार
हर पाँच साल के बाद जगे 
यह भारत माँ का बंदा है ,
राजनीती एक धंधा है...........  


                                       

क्या यही जिंदगी है............

                       

ना भोजन को समय है
ना सोने को समय है,  
ना कोई सोच ना कोई उद्देश्य ,
बस भागते रहना ,
क्या यही जिन्दगी है ...........

कल ये करना है ,

कल वो करना है ,
कल क्या क्या करना है
बस सोचते रहना
कल - कल के चक्कर में ,,
आज  का रोना ,
क्या यही जिंदगी है .............

कभी अमिताभ बन जाता ,

कभी तेंदुलकर जैसा ,
कभी टाटा कभी बिडला ,
कभी सब भूलकर पैसा
कमाने की ललक में
बस सोचते रहना ,
क्या यही जिन्दगी है ..........
                                            लेखक - अमित प्रकाश तिवारी (नादान)

काम ऐसा करो की दुनिया थूके

                                         काम ऐसा करो की दुनिया थूके


अच्छा कर नहीं सकते  
बुरा सोच नहीं सकते 
पर चाहते है  की नाम हो 
गली मोहल्ला शहर गए
एक मौके की तलाश में
तुम हर बार चुके  तो
काम ऐसा करो की दुनिया थूके............

जिससे लो उधार
दुबारा न दिखो 
जब मिले मौका 
कुछ नया पैतरा  सीखो 
ये देश तुम्हारा है  ,
जितना चाहे लूट लो 
नकली बी पी ल कार्ड बना 
हर मौके की छूट लो 
फिर न मिलेगा मौका अगर चुके 
काम ऐसा करो की दुनिया थूके.......

कॉलेज टॉप किया 
कोई नहीं पहचानता 
खून कर के आये 
तो हर कोई पूछे  
सामाजिक काम किया 
किसी ने नहीं पूछा
पर आज जेल गया 
तो हर कोई पूछे   
हर जुर्म किया और नेता बन गया 
आज हर आदमी ,अधिकारी तेरे पैर छुते ,
काम ऐसा करो की दुनिया थूके..............

बनना है तो दलाल बनो 
कोई काम नहीं रुकेगा 
दो चार लफंगों की ढाल बनो  
हर कोई डरेगा
एकबार बोलो हर काम होगा
आम आदमी क्या करेगा  
मस्ती करो जीवन का आनंद लो ..
इस डरपोक दुनिया कौन लड़ेगा
क्यों जीना जीवन भर रोते रोते 
काम ऐसा करो की दुनिया थूके ............



                                        लेखक - अमित प्रकाश तिवारी (नादान)





 




 

बहुत याद आती है

बहुत याद आती है ...........


                       बहुत याद आती है, बचपन  की बाते ,
वो मम्मी का गुस्सा, वो पापा की बाते ,
गुरु जी दहशत, थे हरदम सताते ,
बहुत याद आती है..........

 
                              कभी दौड़ कर भाग जाना कही 

                              कभी प्यार से यूँ सताना कभी 
                              चोट देना किसी को हँसाना कभी 
                              मस्त खेलो में रहना न पढ़ना कभी 
                             थी डराती सदा हमको वो काली राते 
                              बहुत याद आती है..........  

                             वो पड़ोसी के बच्चो से लड़ना झगड़ना ,
                             प्यार से फ़िर सदा उनके ही संग में रहना 
                             वो दादा जी के संग में धीरे धीरे चलना 
                             करना सबकी नक़ल पीठ पीछे चिढाना 
                             वो बिस्कुट मिठाई जो चुप चुप के खाते 
                              बहुत याद आती है..........


                                          लेखक- अमित प्रकाश तिवारी (नादान)

शनिवार, 17 मार्च 2012

हर सफल इन्सान के पीछे .......................

हर सफल इन्सान के पीछे .......................



हर सफल इन्सान के पीछे
एक औरत का हाथ होता है ,
पर एक बर्बाद इन्सान के पीछे
 काफी सारी औरतो का हाथ होता है ,
हर सफल इन्सान................

शादीशुदा आदमी तो मजबूर होता है 
हर दिल की हसरत से दूर होता है
जिंदगी भर खुश नहीं रह सकते ,
इसलिए शादी का दस्तूर होता है ,
घर परिवार के चक्कर में जीवन बर्बाद होता है 
हर  सफल इन्सान................

गुरुवार, 1 मार्च 2012

माँ की ममता

                                                                       
                                                                 माँ की ममता


जीवन दायिनी ,परम पूजनीय
प्रथम गुरु और प्रेम की सदा बरसाने वाली ,
छमाशील, ममतामयी ,
हर दुःख से हमें बचाने वाली ,
उस देवी का सम्मान करो तेरा हर दुःख मिट जायेगा  .
माँ का वंदन कर प्यारे ,तेरा जीवन सफल हो जायेगा    

जिसने अपना दूध पिलाया
ममता की छाव दिया तुझको
उसकी ममता का है प्रताप ,
काबिल इन्सान बनाया तुझको
उसके दिल को जो दर्द दिया,खुश तू भी न रहने पायेगा ,
माँ का वंदन कर प्यारे ,तेरा जीवन सफल हो जायेगा  

हर दर्द सहा तेरे कारण ,
 हर दुःख से तेरे दुखी हुई
तेरी हर चाहत पूरी की,
 तू खुश तो उसको ख़ुशी हुई
माँ की ममता का मोल नहीं, ना कर्ज चुकाने पायेगा
माँ का वंदन कर प्यारे ,तेरा जीवन सफल हो जायेगा    
        
                                        लेखक -अमित प्रकाश तिवारी (नादान)



मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

जय जय बोलो घरवाली की

लेखक- अमित प्रकाश तिवारी (नादान)
                                                            


          जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...............
                                                   
गृह मंत्रालय शेरनी, या कह लो भोलीभाली  ,
प्रेम की देवी,मोहिनी मूरत या जगदम्बे काली ,
रूप हो चाहे कोई पर हरदम दम भरने वाली 
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...............

पल पल की चाहे खबर तेरी ,
कहे तेरी याद सताती है ,
टेंसन भर देती हर पल में ,
हरपल अपनी याद दिलाती है ,
 हालत यही सभी की है ,पर झूठी चमक निराली की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ................ 

तेरा मन न भटके दुनिया में, 
कोई उसकी न शौतन बन जाये ,
तू खुश कैसे  घर से बाहर भी
उसको बिलकुल भी ना भाए,
घर के बाहर शेर बनो, पर घर में न चलने देने वाली  की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...................  

उसकी साडी मुझसे अच्छी ,उसके गहने    
आदेश नया,एक नयी मांग दुहराती  है,
कितना भी खरीदी कर डालो 
पर वह संतुष्ट नही हो पाती है
एक मुद्दा रोज नया ढूंढे ,घर सर पे उठाने वाली की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...................  
























वतन के रखवाले

वतन के रखवाले  ................

अपनी धरती माँ के रक्षक ,
है वीर वतन के रखवाले
सीना ताने हरपल है खड़े
मुस्तैद सदा रहने  वाले 
हम घर सदा सुरक्षित हो ,
हमसब के लिए लड़ने वाले
हर वीर सिपाही को नमन ,
हर वतन के रक्षक को नमन
 अपनी धरती माँ के रक्षक................


रविवार, 26 फ़रवरी 2012

शादी एक हादसा है

                                                                    लेखक -अमित प्रकाश तिवारी (नादान)
                                                   शादी एक हादसा है .........................

शादी एक हादसा है ,
जो जीवन काल में एकबार होता है ,
पर दर्द का अहसास बार -बार  होता है ,
मजे में पूरा परिवार होता है,
अपने साथ रोज अत्याचार होता है ,
हरपल फरमाईश का अम्बार होता है,
हे भगवन ये कैसी सजा है ,
शादी एक हादसा है, ................

शादी से पहले शादी को परेशान,
 शादी के बाद शादी से परेशान
शादी है उस लड्डू के समान
जो खा जाये वो भी परेशान
जो न खाए वो भी परेशान
प्यारे ये जिन्दगी का मजा है
शादी एक हादसा है ,............

शादी ने कितनो का घर बसाया
तो कितनो का कर दिया सफाया
रामायण में राम जी ने सीता जी संग घर बसाया
सीता जी के कारन रावन के घर मातम छाया
महाभारत में द्रोपदी के कारन कितनो का संहार हुआ
शादी कर हर कोई फसा है ,
शादी एक हादसा है ,......................