शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

एक मुस्कराहट के लिए

बेटे के लिए माँ बाप ने ,  त्यागा है सुख
दुःख सहा सारी जिंदगी ,
विश्वास किया निज पुत्र पर,
अभावो का अभ्यास , किया सारी  जिंदगी

जिसके  सपनोे के लिए , भागते रहे उम्र भर ,
दिन रात एक कर दिया जिसके लिए ,
हर गम सहा ख़ुशी से ,
उसकी एक मुस्कराहट के लिए
उसकी एक सफलता से सारे मोहल्ले में,
ना जाने कितने लड्डू बाट दिए
जिसके एक छोटी सी चोट पर बहाये आँसू
पूरी रात जागते रहे बिना संवाद किये
तेरी हर जरुरत पूरी की, बिना कोई पल गवाए





बुधवार, 10 सितंबर 2014

कुछ तो है इक जादू जैसा

   

 कुछ तो है इक  जादू जैसा 


भारत का नाम किया ऊँचा , पूरी दुनिया ने मान  लिया ,

इक दृढ संकल्पित  युवा सोच को, आज जगाया मोदी जी ने । 

कुछ तो है इक  जादू जैसा , हर कोई खींचा चला आया ,

दुश्मन भी है उनके मुरीद , जज्बात जगाया मोदी जी ने । 

वह दिन भी जल्दी आएगा , जब पाक चीन घुटने टेके ,

भारत को विकास के पथ पर , है आज चलाया मोदी जी ने । 

भारत में बुलेट ट्रेन चले , शहरो का रंग रूप निखरे ,

हर बेटी को सम्मान मिले , अभियान चलाया मोदी जी ने,

भारत के युवा का जोश बढे  , और रोजगार के अवसर हो,

दुनिया  के प्रसिद्ध उद्यमियो को, भारत में बुलाया मोदी जी ने । 

आएंगे अच्छे दिन अपने भी , यह स्वप्न दिखाया  है जिसने

सबको उसका हक़ मिल जाये , एहसास जगाया मोदी जी ने ।  

                                           लेखन - अमित प्रकाश तिवारी "नादान "
                                          
 कुछ शब्दों का सामान्य हिंदी में अनुबाद :
शाला - पाठशाला ,प्राइमरी स्कूल।           उद्यमी - बिजनेसमैन , कम्पनी मालिक 
मुरीद - प्रशंसक , प्रशंसा करने वाले।         स्वप्न - सपना 
                       और अधिक जानकारी के लिए गूगल पर''''अमितप्रकाशतिवारीनादान ''' सर्च करे।  लिंक को क्लिक करे और पढ़े २५ से भी ज्यादा  रचनाये। 

गुरुवार, 24 जुलाई 2014

जिंदगी एक गुमनाम सफर है



जिंदगी एक गुमनाम सफर है दोस्तों ,

जहाँ एक मिलता है हमसफ़र ,
तो कोई दूर जाता है ,
होता है कोई दिल के करीब तो ,

बुधवार, 23 जुलाई 2014

मेरे अद्भुत पड़ोसी

                                                   मेरे अद्भुत पड़ोसी 

कद ५'२", दुबला पतला शरीर , भारत सरकार के प्रथम श्रेणी के कर्मचारी व किसी से कोई मतलब न रखने वाले श्री नरसिंह साहब हमारे अद्भुत पडोसी है । जब मई पहली बार वृन्दावन कॉलोनी में आया , तो ऐसा लगा मनो किसी समुद्र के बीच में कोई टीला हो। और वह कोई कुछ आशियाने बना कर हमें वह दंड देने के लिए भेज दिया हो। खैर हमरे एक मात्र पडोसी सिंह साहब अपनी पत्नी मधु जी व पुत्र शांतनु के साथ रहते है।
             छोटा परिवार सुखी परिवार जैसे स्लोगन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने परिवार को एक मात्र पुत्र तक ही सीमित रख्खा । एक ऐसा पुत्र जिसे दुनिया से कोई मतलब नहीं , अपनी धुन में मस्त , हनी सिंह के गानो में व्यस्त और हमेशा व्यस्त रहने में अव्यस्त देखा जाता है।
             अब मै पड़ोस के गृहमंत्रालय की अध्यक्षा मधु एंटी के बारे में बताने से पहले कहना चाहूंगा कि उनको नरसिंह अंकल की जिंदगी से जोड़कर ईश्वर ने बहुत बड़ा अन्याय किया है ।लम्बे रूखे बालो की मलिका , जुबान से नीम से कड़वी , कद में जाया भादुड़ी ,फैशन में किसी मॉडल से कम नहीं और मोती भद्दी काया की अप्सरा सदृश दिखने की कोशिश करने वाली हमारी एंटी जी पुरे कॉलोनी में अपनी लम्बी लम्बी ढींगे हांकने की कला के लिए प्रसिद्द है।
                दुर्भाग्य से हमें भी उनके पडोसी होने की सजा मिलती है ।कभि कभी उनके बीच होने वाला अर्ध रात्रि का झगड़ा हमारी नींद की धज्जिया उड़ा देता है । सुबह की पहली चाय से ही किचन में बर्तनो के पटकने की आवाज , शोर शराबे में हमारे सुबह का अलार्म बजता है । शिकायतों और उलाहनों का दौर तब तक चलता रहता है जब तक हम अपनी दिनचर्या से घर से बाहर नहीं निकल जाते। इतने शांत और सुशील पडोसी ईश्वर बड़े बदनशीब लोगो को ही देता है। ईश्वर को इसके लिए बहुत बहुत……………………………………। 

                                                          लेखक - अमित प्रकाश तिवारी "नादान"

तुमने हीरा गवां दिया

जी भर के रोते  है तो करार मिलता है ,
इस जहाँ में कहाँ सबको प्यार मिलता है ,
जिंदगी गुजर जाती है इम्तिहानों के दौर से ,
एक ज़ख्म भरता है तो दूसरा तैयार मिलता है ।

इसीलिए। ………………

कभी उसको नजर अंदाज न करो ,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो ,
वार्ना तुम्हे किसे दिन एहसास होगा ,
की पत्थर जैम करते -करते ,
तुमने हीरा गवां  दिया 

बुधवार, 11 जून 2014

जिंदगी उदास हो गयी


जिंदगी उदास हो गयी

जिंदगी उदास हो गयी, उनके जाने के बाद
पर जब थे साथ मे , तब भी थे बर्बाद |
जिंदगी ..........................................

भागते रहते थे , यू नज़रे छुपाकर ,
पर कभी ना अहसास, ना होने दिया जताकर ,
दिल की बात दिल मे रखी, किया नही संवाद |
जिंदगी...............................................

प्यार था दिल में , मगर कड़की थी पॉकेट में ,
देखना चाहते थे हरदम , उनको गुलाबी जैकेट में ,
सौ रंग सजाया सपनो में ,पर हरदम हुआ विवाद ।
जिंदगी .....................................……

पुरानी बात हो गयी , ख़ुशी जाती रही हरदम ,
डूबकर कर्जे में यूँ ,   गाते  रहे सरगम ,
हम भी थे मुहब्बत में , पर हो न सके आबाद ।
जिंदगी …………………………………

लेखक - अमित प्रकाश तिवारी 'नादान '

रविवार, 26 जनवरी 2014

कड़वा सच

                                      कड़वा सच 


६ वर्ष का राहुल रात  को ११ बजे अपने पापा का इंतजार कर रहा था ,  पापा घर आये।  राहुल ने प्रश्न किया
 " पापा आप एक घंटे में कितना कमा  लेते हो। " उसके पापा सोच में पड़  गए कि ये क्या पूछ रहा है।  बोले " तुमसे क्या मतलब जाओ और सो जाओ "   डाटते हुए राहुल को सोने का इशारा किया।  अबोध राहुल करवटे बदल रहा था। फिर पापा को एहसास हुआ कि राहुल आखिर ऐसा  पूछ रहा था। 
"नीद नहीं आ रही है बेटा" पापा ने सर पर हाथ फेरते हुए पूछा। 
"नहीं पापा " राहुल ने आखे मीचते हुए कहा। 
"मै  कितना कमाता हू क्यू  पूछ रहे थे "पापा ने प्रश्न किया। 
"आप  बताओ तो सही कुछ कहना है मुझे "
"लगभग १०० रुपए एक घंटे में "पापा ने बताया। 
  राहुल उठकर खड़ा हुआ और दौड़ कर अपना गुल्लक उठा लाया। गुल्लक को एक झटके से जमीन पर तोड़ दिया, और पैसे गिनने लगा। एक एक सिक्के को जोड़कर १०० रुपए होने पर वह पापा से बोला " पापा ये पैसे लेलो ,क्या मै  आपका एक घंटा  खरीद सकता हूँ। "
पापा को समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। फिर राहुल ने कहा " पापा मै  आपसे कोई काम करने को नहीं कहूंगा बसआप मेरे साथ खेलना, घुमाना और मुझे प्यार करना … . प्लीज ये पैसे आप ले लो , और मुझे सिर्फ एक घंटे  ,मै  ज्यादा समय नहीं लूंगा। " पापा के आखो में ऑसू  आ गए और गोद में उठाते हुए राहुल को गले से लगा  लिया।
एक छोटे से बालक के इस प्रश्न ने आज के समय में सिर्फ अपने काम  में व्यस्त माता पिता को सोचने पर मजबूर कर दिया।  क्या आपके साथ भी ऐसा है तो प्लीज अपने लाडलो को भी समय दे और उनके कोमल मन में ऐसे विचार न आने दे।