जिन्दगी एक किराये का घर ...........
जिन्दगी एक किराये का घर है
एक न एक दिन है जाना सभी को ,
फिर ऐसा करे कर्म क्यों हम
जो जिन्दगी को नरक सा बना दे
जिंदगी ..........................
दर्द अपना समझ आये सबको
गैर कितना दुखी है न समझे
अपनी खुशियों को सबको दिखाए
उसकी खुशिया तुझे क्यों न भाये
आज तक न समझ आया मुझको
चाहिए क्या जमाने से हमको
जिंदगी .......................
मैंने माँगा सदा रब से दिल से
एक ख़ुशी हर दिल में हो हरपल
उसने भी कहा सच है लेकिन
क्या करे हम समझ में न आये
किसको खुशियों की सौगात दे हम
वो पडोसी को गम मांगे हमसे
जिंदगी .............................
वो पडोसी को गम मांगे हमसे
जिंदगी .............................