गुरुवार, 24 जुलाई 2014

जिंदगी एक गुमनाम सफर है



जिंदगी एक गुमनाम सफर है दोस्तों ,

जहाँ एक मिलता है हमसफ़र ,
तो कोई दूर जाता है ,
होता है कोई दिल के करीब तो ,

बुधवार, 23 जुलाई 2014

मेरे अद्भुत पड़ोसी

                                                   मेरे अद्भुत पड़ोसी 

कद ५'२", दुबला पतला शरीर , भारत सरकार के प्रथम श्रेणी के कर्मचारी व किसी से कोई मतलब न रखने वाले श्री नरसिंह साहब हमारे अद्भुत पडोसी है । जब मई पहली बार वृन्दावन कॉलोनी में आया , तो ऐसा लगा मनो किसी समुद्र के बीच में कोई टीला हो। और वह कोई कुछ आशियाने बना कर हमें वह दंड देने के लिए भेज दिया हो। खैर हमरे एक मात्र पडोसी सिंह साहब अपनी पत्नी मधु जी व पुत्र शांतनु के साथ रहते है।
             छोटा परिवार सुखी परिवार जैसे स्लोगन को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने परिवार को एक मात्र पुत्र तक ही सीमित रख्खा । एक ऐसा पुत्र जिसे दुनिया से कोई मतलब नहीं , अपनी धुन में मस्त , हनी सिंह के गानो में व्यस्त और हमेशा व्यस्त रहने में अव्यस्त देखा जाता है।
             अब मै पड़ोस के गृहमंत्रालय की अध्यक्षा मधु एंटी के बारे में बताने से पहले कहना चाहूंगा कि उनको नरसिंह अंकल की जिंदगी से जोड़कर ईश्वर ने बहुत बड़ा अन्याय किया है ।लम्बे रूखे बालो की मलिका , जुबान से नीम से कड़वी , कद में जाया भादुड़ी ,फैशन में किसी मॉडल से कम नहीं और मोती भद्दी काया की अप्सरा सदृश दिखने की कोशिश करने वाली हमारी एंटी जी पुरे कॉलोनी में अपनी लम्बी लम्बी ढींगे हांकने की कला के लिए प्रसिद्द है।
                दुर्भाग्य से हमें भी उनके पडोसी होने की सजा मिलती है ।कभि कभी उनके बीच होने वाला अर्ध रात्रि का झगड़ा हमारी नींद की धज्जिया उड़ा देता है । सुबह की पहली चाय से ही किचन में बर्तनो के पटकने की आवाज , शोर शराबे में हमारे सुबह का अलार्म बजता है । शिकायतों और उलाहनों का दौर तब तक चलता रहता है जब तक हम अपनी दिनचर्या से घर से बाहर नहीं निकल जाते। इतने शांत और सुशील पडोसी ईश्वर बड़े बदनशीब लोगो को ही देता है। ईश्वर को इसके लिए बहुत बहुत……………………………………। 

                                                          लेखक - अमित प्रकाश तिवारी "नादान"

तुमने हीरा गवां दिया

जी भर के रोते  है तो करार मिलता है ,
इस जहाँ में कहाँ सबको प्यार मिलता है ,
जिंदगी गुजर जाती है इम्तिहानों के दौर से ,
एक ज़ख्म भरता है तो दूसरा तैयार मिलता है ।

इसीलिए। ………………

कभी उसको नजर अंदाज न करो ,
जो तुम्हारी बहुत परवाह करता हो ,
वार्ना तुम्हे किसे दिन एहसास होगा ,
की पत्थर जैम करते -करते ,
तुमने हीरा गवां  दिया