मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

जय जय बोलो घरवाली की

लेखक- अमित प्रकाश तिवारी (नादान)
                                                            


          जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...............
                                                   
गृह मंत्रालय शेरनी, या कह लो भोलीभाली  ,
प्रेम की देवी,मोहिनी मूरत या जगदम्बे काली ,
रूप हो चाहे कोई पर हरदम दम भरने वाली 
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...............

पल पल की चाहे खबर तेरी ,
कहे तेरी याद सताती है ,
टेंसन भर देती हर पल में ,
हरपल अपनी याद दिलाती है ,
 हालत यही सभी की है ,पर झूठी चमक निराली की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ................ 

तेरा मन न भटके दुनिया में, 
कोई उसकी न शौतन बन जाये ,
तू खुश कैसे  घर से बाहर भी
उसको बिलकुल भी ना भाए,
घर के बाहर शेर बनो, पर घर में न चलने देने वाली  की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...................  

उसकी साडी मुझसे अच्छी ,उसके गहने    
आदेश नया,एक नयी मांग दुहराती  है,
कितना भी खरीदी कर डालो 
पर वह संतुष्ट नही हो पाती है
एक मुद्दा रोज नया ढूंढे ,घर सर पे उठाने वाली की
जय बोलो पत्नी जी की ,जय जय बोलो घरवाली की ...................  
























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